रंग-दर-रंग हिजाबात उठाने होंगे

रंग-दर-रंग हिजाबात उठाने होंगे

बे-महाबा हमें सब जल्वे दिखाने होंगे

जिन को तारीख़ की नज़रें भी कभी छू न सकें

बत्न-ए-गीती में कई ऐसे ज़माने होंगे

आज तक शाहों की तहवील में जो आ न सके

सैकड़ों ऐसे पुर-असरार ख़ज़ाने होंगे

पुश्त-हा-पुश्त से जो दस्त-निगर रहते हैं

अन-गिनत ऐसे भी मज़लूम घराने होंगे

जिन में ग़ुर्बत के असीरों को जगह मिल न सकी

वो फ़लक-बोस महल्लात गिराने होंगे

जिन में दहक़ानों की हसरत का झलकता है लहू

हम को वो गुलशन-ए-शादाब जलाने होंगे

नए अंदाज़ से छेड़ी है ग़ज़ल 'फ़ारिग़' ने

अब हर इक लब पे बग़ावत के तराने होंगे

(981) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Rang-dar-rang Hijabaat UThane Honge In Hindi By Famous Poet Farigh Bukhari. Rang-dar-rang Hijabaat UThane Honge is written by Farigh Bukhari. Complete Poem Rang-dar-rang Hijabaat UThane Honge in Hindi by Farigh Bukhari. Download free Rang-dar-rang Hijabaat UThane Honge Poem for Youth in PDF. Rang-dar-rang Hijabaat UThane Honge is a Poem on Inspiration for young students. Share Rang-dar-rang Hijabaat UThane Honge with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.