तुझ को खो कर मुझ पर वो भी दिन आए
छुप न सका दुख पीछे कई नक़ाबों के
Javed Akhtar
Gulzar
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Rahat Indori
Anwar Masood
Wasi Shah
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1198) Peoples Rate This
अज़ीज़ मुझ को हैं तूफ़ान साहिलों से सिवा
ज़िंदगी कट गई मनाते हुए
आँख को जकड़े थे कल ख़्वाब अज़ाबों के
दश्त-ए-वहशत ने फिर पुकारा है
इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़
बात अपनी अना की है वर्ना
तिरा वजूद गवाही है मेरे होने की
परस्तिश की है मेरी धड़कनों ने
मुझ पे हो जाए तिरी चश्म-ए-करम गर पल भर
ये ज़मीं ख़्वाब है आसमाँ ख़्वाब है
मैं शायद तेरे दुख में मर गया हूँ
देख के जिस को दिल दुखता था