फ़रहत शहज़ाद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़रहत शहज़ाद
नाम | फ़रहत शहज़ाद |
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अंग्रेज़ी नाम | Farhat Shahzad |
जन्म स्थान | U.S.A |
ज़िंदगी कट गई मनाते हुए
ये ज़मीं ख़्वाब है आसमाँ ख़्वाब है
तुझ को खो कर मुझ पर वो भी दिन आए
तिरा वजूद गवाही है मेरे होने की
सौत क्या शय है ख़ामुशी क्या है
परस्तिश की है मेरी धड़कनों ने
मुझ पे हो जाए तिरी चश्म-ए-करम गर पल भर
मैं शायद तेरे दुख में मर गया हूँ
इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़
हम से तंहाई के मारे नहीं देखे जाते
हर्फ़ जैसे हो गए सारे मुनाफ़िक़ एक दम
देख के जिस को दिल दुखता था
बात अपनी अना की है वर्ना
अज़ीज़ मुझ को हैं तूफ़ान साहिलों से सिवा
ये ज़मीं ख़्वाब है आसमाँ ख़्वाब है
शाम कहती है कोई बात जुदा सी लिक्खूँ
सौत क्या शय है ख़ामुशी क्या है
नहीं है अब कोई रस्ता नहीं है
मैं अपने-आप से बरहम था वो ख़फ़ा मुझ से
जब तक चराग़-ए-शाम-ए-तमन्ना जले चलो
हम से तंहाई के मारे नहीं देखे जाते
हयात को तिरी दुश्वार किस तरह करता
दो झुकी आँखों का पहुँचा जब मिरे दिल को सलाम
दश्त-ए-वहशत ने फिर पुकारा है
आँख को जकड़े थे कल ख़्वाब अज़ाबों के