आई ख़िज़ाँ चमन में गए दिन बहार के

आई ख़िज़ाँ चमन में गए दिन बहार के

शर्मिंदा सब दरख़्त हैं कपड़े उतार के

मेक-अप से छुप सकेंगी ख़राशें न वक़्त की

आईना सारी बातें कहेगा पुकार के

इंसाँ सिमटता जाता है ख़ुद अपनी ज़ात में

बंधन भी खुलते जाते हैं सदियों के प्यार के

फिर क्या करेगा रह के कोई तेरे शहर में

रातें ही जब नसीब हों रातें गुज़ार के

सोचा है अपने ज़ख़्मों के आँगन में बैठ कर

सज्दे करूँगा नक़्श-ए-तमन्ना उभार के

तन्हाइयों का दर्द समेटे हुए कोई

'फ़रहत' चला है ठोकरें दुनिया को मार के

(790) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Aai KHizan Chaman Mein Gae Din Bahaar Ke In Hindi By Famous Poet Farhat Qadri. Aai KHizan Chaman Mein Gae Din Bahaar Ke is written by Farhat Qadri. Complete Poem Aai KHizan Chaman Mein Gae Din Bahaar Ke in Hindi by Farhat Qadri. Download free Aai KHizan Chaman Mein Gae Din Bahaar Ke Poem for Youth in PDF. Aai KHizan Chaman Mein Gae Din Bahaar Ke is a Poem on Inspiration for young students. Share Aai KHizan Chaman Mein Gae Din Bahaar Ke with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.