Love Poetry of Farhat Nadeem Humayun
नाम | फ़रहत नदीम हुमायूँ |
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अंग्रेज़ी नाम | Farhat Nadeem Humayun |
ये क्यूँ कहते हो राह-ए-इश्क़ पर चलना है हम को
तिरा दीदार हो आँखें किसी भी सम्त देखें
नहीं होती है राह-ए-इश्क़ में आसान मंज़िल
ये फुर्क़तों में लम्हा-ए-विसाल कैसे आ गया
था पहला सफ़र उस की रिफ़ाक़त भी नई थी
नए मिज़ाज की तश्कील करना चाहते हैं
न दौलत की तलब थी और न दौलत चाहिए है
मोहब्बत का ये रुख़ देखा नहीं था
मसअला आज मिरे इश्क़ का तू हल कर दे
जो तुझे पैकर-ए-सद-नाज़-ओ-अदा कहते हैं
है वही एक मेरे सिवा और मैं
हाल में जीने की तदबीर भी हो सकती है
ऐ कातिब-ए-तक़दीर ये तक़दीर में लिख दे
अब ज़िंदगी रो रो के गुज़ारेंगे नहीं हम