दिल ऐसा मकाँ है जो अगर टूट गया तो
लग जाएँगी सदियाँ नई तामीर में लिख दे
Anwar Masood
Rahat Indori
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Gulzar
Wasi Shah
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(860) Peoples Rate This
तिरा दीदार हो आँखें किसी भी सम्त देखें
न दौलत की तलब थी और न दौलत चाहिए है
कोई अहद-ए-वफ़ा भूला हुआ हूँ
ये क्यूँ कहते हो राह-ए-इश्क़ पर चलना है हम को
ये फुर्क़तों में लम्हा-ए-विसाल कैसे आ गया
था पहला सफ़र उस की रिफ़ाक़त भी नई थी
नहीं होती है राह-ए-इश्क़ में आसान मंज़िल
नए मिज़ाज की तश्कील करना चाहते हैं
अब ज़िंदगी रो रो के गुज़ारेंगे नहीं हम
जो तुझे पैकर-ए-सद-नाज़-ओ-अदा कहते हैं
मसअला आज मिरे इश्क़ का तू हल कर दे
मिलना है अगर ख़ुद से तो फिर देर न करना