नए मिज़ाज की तश्कील करना चाहते हैं

नए मिज़ाज की तश्कील करना चाहते हैं

हम अपने आप को तब्दील करना चाहते हैं

क़ुबूल तर्क-ए-तअल्लुक़ नहीं है लेकिन हम

तुम्हारे हुक्म की तामील करना चाहते हैं

ग़मों के फ़ील न ढा दें कहीं ये का'बा-ए-दिल

सो हम दुआ-ए-अबाबील करना चाहते हैं

हमारे जलने से मिलती है रौशनी तुम को

तो रौशन अब यही क़िंदील करना चाहते हैं

जब उन की कोई भी ता'बीर पा नहीं सकते

हवा में ख़्वाबों को तहलील करना चाहते हैं

किताब-ए-ज़ीस्त में मुश्किल है बाब-ए-इश्क़ 'नदीम'

हम ऐसे बाब की तकमील करना चाहते हैं

(808) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nae Mizaj Ki Tashkil Karna Chahte Hain In Hindi By Famous Poet Farhat Nadeem Humayun. Nae Mizaj Ki Tashkil Karna Chahte Hain is written by Farhat Nadeem Humayun. Complete Poem Nae Mizaj Ki Tashkil Karna Chahte Hain in Hindi by Farhat Nadeem Humayun. Download free Nae Mizaj Ki Tashkil Karna Chahte Hain Poem for Youth in PDF. Nae Mizaj Ki Tashkil Karna Chahte Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Nae Mizaj Ki Tashkil Karna Chahte Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.