है वही एक मेरे सिवा और मैं

है वही एक मेरे सिवा और मैं

दोनों तन्हा हैं मेरा ख़ुदा और मैं

है ख़ुलासा मिरी ज़िंदगी का यही

एक नाकाम हर्फ़-ए-दुआ और मैं

तीरगी ख़त्म करने की उम्मीद पर

रात भर ही जला इक दिया और मैं

कौन जीतेगा इस जंग में देखिए

हो गए हैं मुक़ाबिल हवा और मैं

आई बरखा की रुत मेरे दुख बाँटने

रोए फिर साथ मिल कर घटा और मैं

इक तरफ़ वो है और उस के सारे सितम

इक तरफ़ सब्र की इंतिहा और मैं

क्यूँ सज़ा फिर मिलेगी किसी और को

हैं गुनहगार मेरी अना और मैं

तिश्नगी की अलामात के तौर पर

दो ही नाम आएँगे कर्बला और मैं

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Hai Wahi Ek Mere Siwa Aur Main In Hindi By Famous Poet Farhat Nadeem Humayun. Hai Wahi Ek Mere Siwa Aur Main is written by Farhat Nadeem Humayun. Complete Poem Hai Wahi Ek Mere Siwa Aur Main in Hindi by Farhat Nadeem Humayun. Download free Hai Wahi Ek Mere Siwa Aur Main Poem for Youth in PDF. Hai Wahi Ek Mere Siwa Aur Main is a Poem on Inspiration for young students. Share Hai Wahi Ek Mere Siwa Aur Main with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.