Sad Poetry of Farhat Kanpuri
नाम | फ़रहत कानपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Farhat Kanpuri |
हस्ती का राज़ क्या है ग़म-ए-हस्त-ओ-बूद है
'फ़रहत' तिरे नग़मों की वो शोहरत है जहाँ में
वो बहकी निगाहें क्या कहिए वो महकी जवानी क्या कहिए
वस्ल के लम्हे कहानी हो गए
तिरा जल्वा शाम-ओ-सहर देखते हैं
मुँह-बोला बोल जगत का है जो मन में रहे सो अपना है
मेरा दिल-ए-नाशाद जो नाशाद रहेगा
कुछ तो वुफ़ूर-ए-शौक़ में बाइ'स-ए-इम्तियाज़ हो
कोई भी हम-सफ़र नहीं होता
जो कुछ भी है नज़र में सो वहम-ए-नुमूद है
इक ख़लिश सी है मुझे तक़दीर से