फ़रहत कानपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़रहत कानपुरी
नाम | फ़रहत कानपुरी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Farhat Kanpuri |
इंसान तो नक़्द-ए-जाँ भी खो देता है
है साथ इबादत के अबा भी तेरी
हस्ती का राज़ क्या है ग़म-ए-हस्त-ओ-बूद है
'फ़रहत' तिरे नग़मों की वो शोहरत है जहाँ में
दुनिया ने ख़ूब समझा दुनिया ने ख़ूब परखा
दिल की राहें जुदा हैं दुनिया से
दौलत-ए-अहद-ए-जवानी हो गए
आँखों में बसे हो तुम आँखों में अयाँ हो कर
वो बहकी निगाहें क्या कहिए वो महकी जवानी क्या कहिए
वस्ल के लम्हे कहानी हो गए
तिरा जल्वा शाम-ओ-सहर देखते हैं
मुँह-बोला बोल जगत का है जो मन में रहे सो अपना है
मेरा दिल-ए-नाशाद जो नाशाद रहेगा
कुछ तो वुफ़ूर-ए-शौक़ में बाइ'स-ए-इम्तियाज़ हो
कोई भी हम-सफ़र नहीं होता
जो कुछ भी है नज़र में सो वहम-ए-नुमूद है
इक ख़लिश सी है मुझे तक़दीर से
आँखों में बसे हो तुम आँखों में अयाँ हो कर