Love Poetry of Farhat Ehsas
नाम | फ़रहत एहसास |
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अंग्रेज़ी नाम | Farhat Ehsas |
जन्म की तारीख | 1952 |
जन्म स्थान | Delhi |
वो चाँद कह के गया था कि आज निकलेगा
उसे ख़बर थी कि हम विसाल और हिज्र इक साथ चाहते हैं
तमाम पैकर-ए-बदसूरती है मर्द की ज़ात
मोहब्बत फूल बनने पर लगी थी
मिरी मोहब्बत में सारी दुनिया को इक खिलौना बना दिया है
लोग यूँ जाते नज़र आते हैं मक़्तल की तरफ़
कौन सी ऐसी ख़ुशी है जो मिली हो एक बार
कभी इस रौशनी की क़ैद से बाहर भी निकलो तुम
जो इश्क़ चाहता है वो होना नहीं है आज
इश्क़ में पीने का पानी बस आँख का पानी
इलाज अपना कराते फिर रहे हो जाने किस किस से
चाँद भी हैरान दरिया भी परेशानी में है
बस एक लम्स कि जल जाएँ सब ख़स-ओ-ख़ाशाक
औरतें काम पे निकली थीं बदन घर रख कर
उस तरफ़
तराना-ए-रेख़्ता
शेर कह लेने के बाद
समुंदर
रात हुई
ना-रसाई
हमवारी
दुनिया को कहाँ तक जाना है
बिछड़े घर का साया
बैज़ा-ए-नूर
अगर मैं चीख़ूँ
ये सारे ख़ूबसूरत जिस्म अभी मर जाने वाले हैं
ये बाग़ ज़िंदा रहे ये बहार ज़िंदा रहे
यही हिसाब-ए-मोहब्बत दोबारा कर के लाओ
वो महफ़िलें पुरानी अफ़्साना हो रही हैं
वस्ल की रात में हम रात में बह जाते हैं