कभी इस रौशनी की क़ैद से बाहर भी निकलो तुम
कभी इस रौशनी की क़ैद से बाहर भी निकलो तुम
हुजूम-ए-हुस्न ने सारा सरापा घेर रक्खा है
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कभी इस रौशनी की क़ैद से बाहर भी निकलो तुम
हुजूम-ए-हुस्न ने सारा सरापा घेर रक्खा है
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