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साँप - फ़रहत एहसास कविता - Darsaal

साँप

साँप लपेटे घूम रहा हूँ

दुनिया मुझ से ख़ौफ़-ज़दा है

सब मुझ को अच्छे लगते हैं

लेकिन यूँ है

जिस लड़की को चाहा मैं ने

जिस लड़के को दोस्त बनाया

जिस घर में माँ बाप बनाए

जिस मस्जिद में घुटने टेके

सब ने मेरा साँप ही देखा

मुझ को कोई देख न पाया

मैं सब को कैसे समझाऊँ

ये दुनिया का साँप नहीं है

मेरे साथ पला पोसा है

ये मेरा माँ जाया

बस मुझ को डस्ता है

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Sanp In Hindi By Famous Poet Farhat Ehsas. Sanp is written by Farhat Ehsas. Complete Poem Sanp in Hindi by Farhat Ehsas. Download free Sanp Poem for Youth in PDF. Sanp is a Poem on Inspiration for young students. Share Sanp with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.