पीला कुत्ता
मेरा पीला कुत्ता
मेरे सामने वाले ज़र्द पहाड़ को जानता है
हर पत्थर को पहचानता है
सुब्ह सवेरे
मेरे हाथों और पाँव को
अपनी पीठ पे लादता है
मेरी दोनों आँखों को अपने बालों से ढाँपता है
फिर अपनी पूँछ को मेरे दिल के खटके में अटका कर
ज़र्द चढ़ाई नापता है
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