Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b737c43a1eaa1977f9acdfb3b7090bcf, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दुनिया को कहाँ तक जाना है - फ़रहत एहसास कविता - Darsaal

दुनिया को कहाँ तक जाना है

दुनिया को कहाँ तक जाना है

ये कितना बड़ा अफ़्साना है

सब कान लगाए बैठे हैं

और रात सरकती जाती है

ये रात कहाँ तक जानी है

कुछ इस का अोर-ओ-छोर नहीं

ये रात समुंदर है जिस में

आवाज़ बहुत है रोने की

बस दूर तिलक तारीकी है

कुछ दूर ज़रा सी रौशनियाँ

फिर तारीकी फिर रौशनियाँ

ये रात बला की माया है

जो कुछ का कुछ कर देती है

आँखों को जगाती है बरसों

फिर नींद का धक्का देती है

फिर ख़्वाब दिखाती है बरसों

फिर ख़्वाबों से चौंकाती है

ये खेल भयानक रातों का

इंसान की नन्ही ज़ातों का

ख़ुश होना और दहल जाना

फिर आँसू आँसू गल जाना

इस खेल में जो भी हार गया

फिर मुट्ठी से संसार गया

इस खेल में फँसना है प्यारे

बस हाथ में जितनी मिट्टी है

उस मिट्टी से संसार बना

उसे अपने आँसू का पानी

उसे अपने हिज्र की गर्मी दे

उसे मौसम मौसम नर्मी दे

इसे अपने अंग लगा प्यारे

उसे अपने रंग लगा प्यारे

दुनिया को कहाँ तक जाना है

ये कितना बड़ा अफ़्साना है

ये भेद न कोई जान सका

इस भेद का चक्कर भारी है

(868) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Duniya Ko Kahan Tak Jaana Hai In Hindi By Famous Poet Farhat Ehsas. Duniya Ko Kahan Tak Jaana Hai is written by Farhat Ehsas. Complete Poem Duniya Ko Kahan Tak Jaana Hai in Hindi by Farhat Ehsas. Download free Duniya Ko Kahan Tak Jaana Hai Poem for Youth in PDF. Duniya Ko Kahan Tak Jaana Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Duniya Ko Kahan Tak Jaana Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.