Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_3dknop3vtaelpgmk2arecbuoj6, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तुम कुछ भी करो होश में आने के नहीं हम - फ़रहत एहसास कविता - Darsaal

तुम कुछ भी करो होश में आने के नहीं हम

तुम कुछ भी करो होश में आने के नहीं हम

हैं इश्क़ घराने के ज़माने के नहीं हम

हम और मोहब्बत के सिवा कुछ नहीं करते

वो रूठ गया है तो मनाने के नहीं हम

दरिया है मोहब्बत तो मिले जिस्म का मैदान

इक जिस्म प्याले में समाने के नहीं हम

हम पर भी कभी अपनी हलाकत की नज़र डाल

सच जान कि जान अपनी बचाने के नहीं हम

कितना ही करे शोर यहाँ आ के ज़माना

तुझ पर से मगर ध्यान हटाने के नहीं हम

ये जिस्म फ़क़त एक तरफ़ का है मुसाफ़िर

जा कर फिर उसी जिस्म में आने के नहीं हम

पास आओ कि हम खा तो नहीं जाएँगे तुम को

बस दाँत दिखाने के हैं खाने के नहीं हम

'एहसास'-मियाँ पीर हैं मुर्शिद हैं हमारे

अब उठ के यहाँ से कहीं जाने के नहीं हम

(1039) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tum Kuchh Bhi Karo Hosh Mein Aane Ke Nahin Hum In Hindi By Famous Poet Farhat Ehsas. Tum Kuchh Bhi Karo Hosh Mein Aane Ke Nahin Hum is written by Farhat Ehsas. Complete Poem Tum Kuchh Bhi Karo Hosh Mein Aane Ke Nahin Hum in Hindi by Farhat Ehsas. Download free Tum Kuchh Bhi Karo Hosh Mein Aane Ke Nahin Hum Poem for Youth in PDF. Tum Kuchh Bhi Karo Hosh Mein Aane Ke Nahin Hum is a Poem on Inspiration for young students. Share Tum Kuchh Bhi Karo Hosh Mein Aane Ke Nahin Hum with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.