Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_01ad2de887ccfaa1042d84828cd9cfec, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
सहरा के संगीन सफ़र में आब-रसानी कम न पड़े - फ़रहत एहसास कविता - Darsaal

सहरा के संगीन सफ़र में आब-रसानी कम न पड़े

सहरा के संगीन सफ़र में आब-रसानी कम न पड़े

सारी आँखें भर कर रखना देखो पानी कम न पड़े

ज़ेहन-ए-मुसलसल क़िस्से सोचें होंठ मुसलसल ज़िक्र करें

सुब्ह तलक ज़िंदा रहना है कहीं कहानी कम न पड़े

इश्क़ ने सौंपा है मुझ को इक सहरा की ता'मीर का काम

और हिदायत की है ज़र्रा भर वीरानी कम न पड़े

मेरी शह-रग काटी उस ने और कहा शोख़ी के साथ

तू सच्चा आशिक़ है तो फिर देख रवानी कम न पड़े

थोड़ा थोड़ा मरता भी रहता हूँ मैं जीने के साथ

ताकि वक़्त-ए-ज़रूरत मरने की आसानी कम न पड़े

सज्दा करने को होता हूँ एक बहुत ही बड़े बुत का

और फिर सोचता हूँ ये छोटी सी पेशानी कम न पड़े

हमें छुपाने को दुनिया ने खोल दिए कपड़ों के थान

चाक-गरेबानी ये तिरा ज़ोर-ए-उर्यानी कम न पड़े

तुम 'फ़रहत-एहसास' बस अपने आप को मरने मत देना

ताकि दफ़्तर-ए-दुनिया में दख़्ल-ए-इंसानी कम न पड़े

(943) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Sahra Ke Sangin Safar Mein Aab-rasani Kam Na PaDe In Hindi By Famous Poet Farhat Ehsas. Sahra Ke Sangin Safar Mein Aab-rasani Kam Na PaDe is written by Farhat Ehsas. Complete Poem Sahra Ke Sangin Safar Mein Aab-rasani Kam Na PaDe in Hindi by Farhat Ehsas. Download free Sahra Ke Sangin Safar Mein Aab-rasani Kam Na PaDe Poem for Youth in PDF. Sahra Ke Sangin Safar Mein Aab-rasani Kam Na PaDe is a Poem on Inspiration for young students. Share Sahra Ke Sangin Safar Mein Aab-rasani Kam Na PaDe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.