रौनक़-ए-ज़हर हो चुका मिरा दिल
रौनक़-ए-ज़हर हो चुका मिरा दिल
कब का इक शहर हो चुका मिरा दिल
इश्क़ की ऐन गिर चुकी कब की
ख़ारिज-अज़-बहर हो चुका मिरा दिल
हो गई देर तुझ से बाद-ए-सबा
अब तो दोपहर हो चुका मिरा दिल
लौट जाएँ बड़े सफ़ीना-ए-इश्क़
बहर से नहर हो चुका मिरा दिल
'फ़रहत-एहसास' उठा ये दस्तर-ख़्वान
लुक़्मा-ए-क़हर हो चुका मिरा दिल
(786) Peoples Rate This