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मिला है जिस्म कि उस का गुमाँ मिला है मुझे - फ़रहत एहसास कविता - Darsaal

मिला है जिस्म कि उस का गुमाँ मिला है मुझे

मिला है जिस्म कि उस का गुमाँ मिला है मुझे

वो हाथ आ के भी अक्सर कहाँ मिला है मुझे

मैं सिर्फ़ देख ही सकता हूँ चश्म-ए-साहिल से

कि वो बदन अजब आब-ए-रवाँ मिला है मुझे

फ़रोख़्त कर के ख़सारे में आ गया बाज़ार

तो सोच लो कि वो कितना गराँ मिला है मुझे

अचानक आज मिरा ज़ख़्म बात करने लगा

बहुत दिनों में कोई हम-ज़बाँ मिला है मुझे

हमेशा देर से पहुँचा मैं उस की महफ़िल में

बजाए आग हमेशा धुआँ मिला है मुझे

अजब कशाकश-ए-ईमान-ओ-कुफ्र रहती है

वो बुत हमेशा ब-वक़्त-ए-अज़ाँ मिला है मुझे

उलट के रख दिया 'एहसास' ने हिसाब-ए-उम्र

वो रोज़ कल से ज़ियादा जवाँ मिला है मुझे

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Mila Hai Jism Ki Us Ka Guman Mila Hai Mujhe In Hindi By Famous Poet Farhat Ehsas. Mila Hai Jism Ki Us Ka Guman Mila Hai Mujhe is written by Farhat Ehsas. Complete Poem Mila Hai Jism Ki Us Ka Guman Mila Hai Mujhe in Hindi by Farhat Ehsas. Download free Mila Hai Jism Ki Us Ka Guman Mila Hai Mujhe Poem for Youth in PDF. Mila Hai Jism Ki Us Ka Guman Mila Hai Mujhe is a Poem on Inspiration for young students. Share Mila Hai Jism Ki Us Ka Guman Mila Hai Mujhe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.