कुर्सी-ए-दिल पे तिरे जाते ही दर्द आ बैठे

कुर्सी-ए-दिल पे तिरे जाते ही दर्द आ बैठे

जैसे आईना-ए-बे-कार पे गर्द आ बैठे

पहली मंज़िल पे ही टकरा के गिरे दुनिया से

पाँव तुड़वा के तमाम अहल-ए-नवर्द आ बैठे

दावत-ए-दीद जो उस क़ामत-ए-रंगीं की मिली

बज़्म में हम भी लिए ये रुख़-ए-ज़र्द आ बैठे

औरतें काम पे निकली थीं बदन घर रख कर

जिस्म ख़ाली जो नज़र आए तो मर्द आ बैठे

शहर इक सम्त से जंगल सा नज़र आने लगा

शहर के दिल में भी क्या दश्त-नवर्द आ बैठे

'फ़रहत-एहसास' की ताज़ीम में उट्ठा था समाज

और वो उस की जगह सूरत-ए-फ़र्द आ बैठे

(806) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Kursi-e-dil Pe Tere Jate Hi Dard Aa BaiThe In Hindi By Famous Poet Farhat Ehsas. Kursi-e-dil Pe Tere Jate Hi Dard Aa BaiThe is written by Farhat Ehsas. Complete Poem Kursi-e-dil Pe Tere Jate Hi Dard Aa BaiThe in Hindi by Farhat Ehsas. Download free Kursi-e-dil Pe Tere Jate Hi Dard Aa BaiThe Poem for Youth in PDF. Kursi-e-dil Pe Tere Jate Hi Dard Aa BaiThe is a Poem on Inspiration for young students. Share Kursi-e-dil Pe Tere Jate Hi Dard Aa BaiThe with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.