हम न प्यासे हैं न पानी के लिए आए हैं
हम न प्यासे हैं न पानी के लिए आए हैं
तेरे हमराह रवानी के लिए आए हैं
ओहदा-ए-इश्क़ से बरख़ास्त हम इस दुनिया में
ख़ाक की ख़ुल्द-मकानी के लिए आए हैं
महफ़िल-ए-हाल में कल माज़ी-ओ-मुस्तक़बिल आए
और कहा मर्सिया-ख़्वानी के लिए आए हैं
क़िस्सा-गो नींद नहीं आई बहुत दिन से हमें
तिरे पास एक कहानी के लिए आए हैं
ज़िंदगी चुप न करा उन को कि बेचारे ये जिस्म
चंद दिन चर्ब-ज़बानी के लिए आए हैं
'फ़रहत-एहसास' को ख़ामोश न होने देना
कि मियाँ सिद्क़-बयानी के लिए आए हैं
(838) Peoples Rate This