Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_51f8fdb550bc09afb95024bb0530e24a, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
है शोर साहिलों पर सैलाब आ रहा है - फ़रहत एहसास कविता - Darsaal

है शोर साहिलों पर सैलाब आ रहा है

है शोर साहिलों पर सैलाब आ रहा है

आँखों को ग़र्क़ करने फिर ख़्वाब आ रहा है

बस एक जिस्म दे कर रुख़्सत किया था उस ने

और ये कहा था बाक़ी अस्बाब आ रहा है

ख़ाक-ए-विसाल क्या क्या सूरत बदल रही है

सूरज गुज़र चुका है महताब आ रहा है

पानी के आइने में क्या आँख पड़ गई है

दरिया में कैसा कैसा गिर्दाब आ रहा है

आँखों की प्यालियों में बारिश मची हुई है

सहरा में कोई मंज़र शादाब आ रहा है

(1574) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hai Shor Sahilon Par Sailab Aa Raha Hai In Hindi By Famous Poet Farhat Ehsas. Hai Shor Sahilon Par Sailab Aa Raha Hai is written by Farhat Ehsas. Complete Poem Hai Shor Sahilon Par Sailab Aa Raha Hai in Hindi by Farhat Ehsas. Download free Hai Shor Sahilon Par Sailab Aa Raha Hai Poem for Youth in PDF. Hai Shor Sahilon Par Sailab Aa Raha Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Hai Shor Sahilon Par Sailab Aa Raha Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.