Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e837edc09e550285db371604a18bcaea, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
घर बनाने में तमाम अहल-ए-सफ़र लग गए हैं - फ़रहत एहसास कविता - Darsaal

घर बनाने में तमाम अहल-ए-सफ़र लग गए हैं

घर बनाने में तमाम अहल-ए-सफ़र लग गए हैं

क्या तमाशे ये सर-ए-राहगुज़र लग गए हैं

तोड़ कर बंद-ए-क़बा जिस्म उड़ा जाता है

कैसे इस ख़ाक की दीवार को पर लग गए हैं

सिर्फ़ इक तुझ से बिछड़ने का नहीं ख़ौफ़ हमें

साथ में अब के कई और भी डर लग गए हैं

सब्ज़ा-ए-मुंतज़िर इस दर्जा नुमू को पहुँचा

देख हम दर पे तिरे मिस्ल-ए-शजर लग गए हैं

जश्न-ए-गिर्या तो किया था मिरी आँखों ने शुरूअ'

साथ अब शहर के सब दीदा-ए-तर लग गए हैं

कैसी अफ़्वाह उड़ी तुझ से मिरे रिश्ते की

सब तिरे चाहने वाले मिरे घर लग गए हैं

हुस्न तो है ही नई तरह से आतिश-अंगेज़

आइने को भी नए बर्क़-ओ-शरर लग गए हैं

कारख़ाना है उसी हुस्न का आलम सारा

बस जिधर उस ने लगाया है उधर लग गए हैं

जिस की पादाश में है दर-ब-दरी का ये इ'ताब

फिर उसी काम पे हम शहर-बदर लग गए हैं

'फ़रहत-एहसास' मैं क्या देखा जो उस के पीछे

आँखें दिखलाते हुए अहल-ए-नज़र लग गए हैं

(824) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ghar Banane Mein Tamam Ahl-e-safar Lag Gae Hain In Hindi By Famous Poet Farhat Ehsas. Ghar Banane Mein Tamam Ahl-e-safar Lag Gae Hain is written by Farhat Ehsas. Complete Poem Ghar Banane Mein Tamam Ahl-e-safar Lag Gae Hain in Hindi by Farhat Ehsas. Download free Ghar Banane Mein Tamam Ahl-e-safar Lag Gae Hain Poem for Youth in PDF. Ghar Banane Mein Tamam Ahl-e-safar Lag Gae Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Ghar Banane Mein Tamam Ahl-e-safar Lag Gae Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.