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औरों का सारा काम मुझे दे दिया गया - फ़रहत एहसास कविता - Darsaal

औरों का सारा काम मुझे दे दिया गया

औरों का सारा काम मुझे दे दिया गया

और मेरा काम जाने किसे दे दिया गया

मुझ से कहा गया कि उतारो अब अपने अक्स

आईना इक चराग़ तले दे दिया गया

थी ये मिरी सज़ा पे मज़े आ गए मिरे

इक घर हर एक घर के परे दे दिया गया

काँटों भरी जो राह थी यूँ ही रखी गई

बस नूर आबलों में मिरे दे दिया गया

ता'बीर जिस की ऐसा ही एक और ख़्वाब हो

इक और ख़्वाब रोज़ मुझे दे दिया गया

दावा किसी का दिन के उजालों पे अब नहीं

जो कुछ भी था वो रात गए दे दिया गया

'एहसास-जी' वहीं थे मगर कुछ न पा सके

सब कुछ उन्हें जो आए न थे दे दिया गया

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