Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_b48aa73a92a647d8f573c49eec430ff0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अभी नहीं कि अभी महज़ इस्तिआरा बना - फ़रहत एहसास कविता - Darsaal

अभी नहीं कि अभी महज़ इस्तिआरा बना

अभी नहीं कि अभी महज़ इस्तिआरा बना

तू यार दस्त-ए-हक़ीक़त मुझे दोबारा बना

कि बह न जाऊँ मैं दरिया की रस्म-ए-इजरा में

क़याम दे मिरी मिट्टी मुझे किनारा बना

हम अपना अक्स तो छोड़ आए थे पर उस के बा'द

ख़बर नहीं कि उन आँखों में क्या हमारा बना

मुझे जो बनना है बन जाऊँगा ख़ुद अपने आप

बनाने वाले मुझे ख़ूब पारा-पारा बना

हुजूम-ए-शहर कि जिस की मुलाज़मत में हूँ मैं

मिरे लिए मिरी तन्हाई का इदारा बना

इसी लिए तो मुनाफ़े' में है हवस का काम

कि इश्क़ मेरे लिए बाइ'स-ए-ख़सारा बना

शिकारियों को खुला छोड़ दश्त-ए-मा'नी में

तू अपने लफ़्ज़ को 'एहसास' महज़ इशारा बना

(863) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Abhi Nahin Ki Abhi Mahz Istiara Bana In Hindi By Famous Poet Farhat Ehsas. Abhi Nahin Ki Abhi Mahz Istiara Bana is written by Farhat Ehsas. Complete Poem Abhi Nahin Ki Abhi Mahz Istiara Bana in Hindi by Farhat Ehsas. Download free Abhi Nahin Ki Abhi Mahz Istiara Bana Poem for Youth in PDF. Abhi Nahin Ki Abhi Mahz Istiara Bana is a Poem on Inspiration for young students. Share Abhi Nahin Ki Abhi Mahz Istiara Bana with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.