ज़िक्र-ए-शब के सईद हो गए क्या
ज़िक्र-ए-शब के सईद हो गए क्या
सहर-साए बईद हो गए क्या
दर्द कुन से कशीद हो गए क्या
ख़्वाब शब से ख़रीद हो गए क्या
ज़िंदगी क्यूँ है लर्ज़ा-बर-अंदाम
ज़लज़ले भी शदीद हो गए क्या
कोई बाक़ी नहीं तिलिस्म-ए-जमाल
इश्क़ वाले शहीद हो गए क्या
अदब-आदाब के ज़माने गए
सिलसिले कुछ मज़ीद हो गए क्या
हिज्र हिजरत मलाल ग़म आसार
ज़िंदगी की नवेद हो गए क्या
न कोई मस्लहत न बेबाकी
फ़र्द 'फ़रहत' फ़रीद हो गए क्या
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