Hope Poetry of Farhan Salim
नाम | फ़रहान सालिम |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Farhan Salim |
उन्हें गुमाँ कि मुझे उन से रब्त है 'सालिम'
शौक़-ए-बेहद ने किसी गाम ठहरने न दिया
मता-ए-दर्द मआल-ए-हयात है शायद
ये क्या हुआ कि सभी अब तो दाग़ जलने लगे
तू मिरी इब्तिदा तू मिरी इंतिहा मैं समुंदर हूँ तू साहिलों की हवा
शुहूद-ए-दिल-ज़दगाँ मंज़रों में रख आना
शौक़ आसूदा-ए-तहलील-ए-मुअम्मा न हुआ
मिरे चराग़ो मिरा गंज-ए-बे-कराँ ले लो
मता-ए-दर्द मआल-ए-हयात है शायद
खो बैठी है सारे ख़द-ओ-ख़ाल अपनी ये दुनिया
आम है इज़्न कि जो चाहो हवा पर लिख दो