'फ़रीद' इक दिन सहारे ज़िंदगी के टूट जाएँगे
'फ़रीद' इक दिन सहारे ज़िंदगी के टूट जाएँगे
सबब ये है कि ख़ुद को बे-सहारा कर रहा हूँ मैं
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'फ़रीद' इक दिन सहारे ज़िंदगी के टूट जाएँगे
सबब ये है कि ख़ुद को बे-सहारा कर रहा हूँ मैं
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