Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_532923ef50f6a5872b5fa8bc3f2ee011, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए - फ़रीद जावेद कविता - Darsaal

ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए

ये कहाँ से मौज-ए-तरब उठी कि मलाल दिल से निकल गए

वही सुब्ह-ओ-शाम जो थे गराँ नफ़स-ए-बहार में ढल गए

ये दयार-ए-शौक़ है हम-नशीं यहाँ लग़्ज़िशों में भी हुस्न है

जो मिटे वो और उभर गए जो गिरे वो और सँभल गए

हसीं ज़िंदगी की तलाश थी हमें सरख़ुशी की तलाश थी

हुए ज़िंदगी से जो आश्ना तो जराहतों से बहल गए

तिरे सोगवारों की ज़िंदगी कभी मुतमइन न गुज़र सकी

जो बुझी कभी कोई तिश्नगी कई और दर्द मचल गए

मिरी आरज़ूओं के ख़्वाब थे कि फ़ज़ा-ए-हुस्न-ओ-शबाब थे

कहीं निकहतों में बिखर गए कहीं रंग-ओ-नूर में ढल गए

उन्हें राहतों का ख़याल है न सऊबतों का मलाल है

जो तिरी तलाश में चल पड़े जो तिरी तलब में निकल गए

है भरी बहार तो क्या करूँ न मिले क़रार तो क्या करूँ

मिरे सामने हैं वो आशियाँ जो भरी बहार में जल गए

(823) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ye Kahan Se Mauj-e-tarab UThi Ki Malal Dil Se Nikal Gae In Hindi By Famous Poet Fareed Javed. Ye Kahan Se Mauj-e-tarab UThi Ki Malal Dil Se Nikal Gae is written by Fareed Javed. Complete Poem Ye Kahan Se Mauj-e-tarab UThi Ki Malal Dil Se Nikal Gae in Hindi by Fareed Javed. Download free Ye Kahan Se Mauj-e-tarab UThi Ki Malal Dil Se Nikal Gae Poem for Youth in PDF. Ye Kahan Se Mauj-e-tarab UThi Ki Malal Dil Se Nikal Gae is a Poem on Inspiration for young students. Share Ye Kahan Se Mauj-e-tarab UThi Ki Malal Dil Se Nikal Gae with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.