साज़ दे के तारों को छेड़ तो दिया तुम ने

साज़ दे के तारों को छेड़ तो दिया तुम ने

साज़-ए-दिल के तारों की बात भी सुनी होती

हम जो शो'ला-ए-जाँ की लौ न तेज़ कर देते

आज ग़म की राहों में कितनी तीरगी होती

उन से छेड़ देते हम रंग-ओ-नूर की बातें

दास्तान-ए-शौक़ अपनी ख़ुद ही छिड़ गई होती

शिकवा-ए-करम क्यूँ है वो अगर करम करते

और भी मोहब्बत की प्यास बढ़ गई होती

अहल-ए-दिल वहाँ से भी नग़्मा-ज़न गुज़र आए

लय जहाँ मोहब्बत की टूट ही गई होती

(807) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Saz De Ke Taron Ko ChheD To Diya Tumne In Hindi By Famous Poet Fareed Javed. Saz De Ke Taron Ko ChheD To Diya Tumne is written by Fareed Javed. Complete Poem Saz De Ke Taron Ko ChheD To Diya Tumne in Hindi by Fareed Javed. Download free Saz De Ke Taron Ko ChheD To Diya Tumne Poem for Youth in PDF. Saz De Ke Taron Ko ChheD To Diya Tumne is a Poem on Inspiration for young students. Share Saz De Ke Taron Ko ChheD To Diya Tumne with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.