Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5df4c9e5fc4381f4bb044231004989d9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
छिपकिली - फ़रीद इशरती कविता - Darsaal

छिपकिली

हजला-ए-तारीक में पाई है इस ने परवरिश

शम्अ' जलते ही दर-ओ-दीवार पर

ले के मटियाला सा काहीदा बदन

झूमती सर-मस्त आ जाती है ये

पा-ब-जौलाँ चंद परवानों के पास

ग़ोता-ज़न पाते ही जिन को आब-शार-ए-नूर में

तेज़ चमकीली नुकीली आँख से

यूँ देखती है बार-बार

जैसे इक सरमाया-दार

माल-ओ-ज़र की ओट से

करता है मुफ़लिस का शिकार

फिर निकल जाती है ये

सोज़-ओ-ग़म के शाहकार

रौशनी के ताजदार

चंद परवानों की जाँ-सोज़ी से क्या मतलब इसे

शम्अ' की रौशनी ख़याली इस के पीछे गर्द है

हजला-ए-तारीक में पाई है इस ने परवरिश

(747) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Chhipkili In Hindi By Famous Poet Fareed Ishrati. Chhipkili is written by Fareed Ishrati. Complete Poem Chhipkili in Hindi by Fareed Ishrati. Download free Chhipkili Poem for Youth in PDF. Chhipkili is a Poem on Inspiration for young students. Share Chhipkili with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.