फ़रह इक़बाल कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़रह इक़बाल
नाम | फ़रह इक़बाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Farah Iqbal |
जन्म स्थान | Houston TX USA |
ज़िंदगी चुपके से इक बात कहा करती है
ज़रा सी रात ढल जाए तो शायद नींद आ जाए
ज़माना झुक गया होता अगर लहजा बदल लेते
वो मेरे बारे में ऐसे भी सोचता कब था
शिकायत हम नहीं करते रिआ'यत वो नहीं करते
सारे मंज़र दिलकश थे हर बात सुहानी लगती थी
राख उड़ती हुई बालों में नज़र आती है
मुद्दतों हम से मुलाक़ात नहीं करते हैं
मोहब्बत का दिया ऐसे बुझा था
मिरे हम-रक़्स साए को बिल-आख़िर यूँही ढलना था
कोई जब मिल के मुस्कुराया था
ख़ुद ही दिया जलाती हूँ
कैसे मंज़र हैं जो इदराक में आ जाते हैं
कहीं यक़ीं से न हो जाएँ हम गुमाँ की तरह
कहें हम क्या किसी से दिल की वीरानी नहीं जाती
कभी तुम भीगने आना मिरी आँखों के मौसम में
हमें तो साथ चलने का हुनर अब तक नहीं आया
एक मुद्दत से यहाँ ठहरा हुआ पानी है
देखा पलट के जब भी तो फैला ग़ुबार था
दर्द का समुंदर है सिर्फ़ पार होने तक