Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e589a9fa16a605017c1158d728d3e2a0, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
नवाह-ए-जाँ में किसी के उतरना चाहा था - फ़राग़ रोहवी कविता - Darsaal

नवाह-ए-जाँ में किसी के उतरना चाहा था

नवाह-ए-जाँ में किसी के उतरना चाहा था

ये जुर्म मैं ने बस इक बार करना चाहा था

जो बुत बनाऊँगा तेरा तो हाथ होंगे क़लम

ये जानते हुए जुर्माना भरना चाहा था

बग़ैर उस के भी अब देखिए मैं ज़िंदा हूँ

वो जिस के साथ कभी मैं ने मरना चाहा था

शब-ए-फ़िराक़ अजल की थी आरज़ू मुझ को

ये रोज़ रोज़ तो मैं ने न मरना चाहा था

कशीद इत्र किया जा रहा है अब मुझ से

कि मुश्क बन के फ़ज़ा में बिखरना चाहा था

उस एक बात पे नाराज़ हैं सभी सूरज

कि मैं ने उन सा उफ़ुक़ पर उभरना चाहा था

लगा रहा है जो शर्तें मिरी उड़ानों पर

मिरे परों को उसी ने कतरना चाहा था

उसी तरफ़ है ज़माना भी आज महव-ए-सफ़र

'फ़राग़' मैं ने जिधर से गुज़रना चाहा था

(922) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nawah-e-jaan Mein Kisi Ke Utarna Chaha Tha In Hindi By Famous Poet Faragh Rohvi. Nawah-e-jaan Mein Kisi Ke Utarna Chaha Tha is written by Faragh Rohvi. Complete Poem Nawah-e-jaan Mein Kisi Ke Utarna Chaha Tha in Hindi by Faragh Rohvi. Download free Nawah-e-jaan Mein Kisi Ke Utarna Chaha Tha Poem for Youth in PDF. Nawah-e-jaan Mein Kisi Ke Utarna Chaha Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Nawah-e-jaan Mein Kisi Ke Utarna Chaha Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.