Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_80eb910327fbcba9ec5ee15ccd4a4f7e, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दयार-ए-शब का मुक़द्दर ज़रूर चमकेगा - फ़राग़ रोहवी कविता - Darsaal

दयार-ए-शब का मुक़द्दर ज़रूर चमकेगा

दयार-ए-शब का मुक़द्दर ज़रूर चमकेगा

यहीं कहीं से चराग़ों का नूर चमकेगा

कहाँ हूँ मैं कोई मूसा कि इक सदा पे मिरी

वो नूर फिर से सर-ए-कोह-ए-तूर चमकेगा

तिरे जमाल का नश्शा शराब जैसा है

हमारी आँखों से उस का सुरूर चमकेगा

भरम जो प्यास का रक्खेगा आख़िरी दम तक

उसी के हाथ में जाम-ए-तुहूर चमकेगा

ये कह के दार पे ख़ुद को चढ़ा दिया मैं ने

कि दार पर भी सर-ए-बे-क़ुसूर चमकेगा

लुटे हुए हैं मगर हम अभी नहीं मायूस

हमारे ताज में फिर कोह-ए-नूर चमकेगा

तलाश करता है मुझ मुश्त-ए-ख़ाक में तू अबस

ग़ुरूर होगा जभी तो ग़ुरूर चमकेगा

मता-ए-फ़न से नवाज़ा गया है तुझ को 'फ़राग़'

इसी से नाम तिरा दूर दूर चमकेगा

(1145) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dayar-e-shab Ka Muqaddar Zarur Chamkega In Hindi By Famous Poet Faragh Rohvi. Dayar-e-shab Ka Muqaddar Zarur Chamkega is written by Faragh Rohvi. Complete Poem Dayar-e-shab Ka Muqaddar Zarur Chamkega in Hindi by Faragh Rohvi. Download free Dayar-e-shab Ka Muqaddar Zarur Chamkega Poem for Youth in PDF. Dayar-e-shab Ka Muqaddar Zarur Chamkega is a Poem on Inspiration for young students. Share Dayar-e-shab Ka Muqaddar Zarur Chamkega with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.