Hope Poetry of Fani Badayuni (page 2)
नाम | फ़ानी बदायुनी |
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अंग्रेज़ी नाम | Fani Badayuni |
जन्म की तारीख | 1879 |
मौत की तिथि | 1941 |
जन्म स्थान | Badayun |
मुझ को मिरे नसीब ने रोज़-ए-अज़ल से क्या दिया
मोहताज-ए-अजल क्यूँ है ख़ुद अपनी क़ज़ा हो जा
मिज़ाज-ए-दहर में उन का इशारा पाए जा
मेरे लब पर कोई दुआ ही नहीं
माया-ए-नाज़-ए-राज़ हैं हम लोग
मर के टूटा है कहीं सिलसिला-क़ैद-ए-हयात
मर कर तिरे ख़याल को टाले हुए तो हैं
मर कर मरीज़-ए-ग़म की वो हालत नहीं रही
लुत्फ़ ओ करम के पुतले हो अब क़हर ओ सितम का नाम नहीं
ले ए'तिबार-ए-वादा-ए-फ़र्दा नहीं रहा
क्यूँ न नैरंग-ए-जुनूँ पर कोई क़ुर्बां हो जाए
कुछ कम तो हुआ रंज-ए-फ़रावान-ए-तमन्ना
कुछ बस ही न था वर्ना ये इल्ज़ाम न लेते
किसी के एक इशारे में किस को क्या न मिला
ख़ुशी से रंज का बदला यहाँ नहीं मिलता
ख़ुदा असर से बचाए इस आस्ताने को
ख़ुद मसीहा ख़ुद ही क़ातिल हैं तो वो भी क्या करें
जुस्तुजू-ए-नशात-ए-मुबहम क्या
जीने की है उम्मीद न मरने का यक़ीं है
जी ढूँढता है घर कोई दोनों जहाँ से दूर
जज़्ब-ए-दिल जब ब-रू-ए-कार आया
जब दिल में तिरे ग़म ने हसरत की बना डाली
इश्क़ इश्क़ हो शायद हुस्न में फ़ना हो कर
इब्तिदा-ए-इश्क़ है लुत्फ़-ए-शबाब आने को है
हम मौत भी आए तो मसरूर नहीं होते
हो काश वफ़ा वादा-ए-फ़र्दा-ए-क़यामत
हर साँस के साथ जा रहा हूँ
हर घड़ी इंक़लाब में गुज़री
दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ में किस का ज़ुहूर था
दिल की काया ग़म ने वो पल्टी कि तुझ सा बन गया