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जुस्तुजू-ए-नशात-ए-मुबहम क्या - फ़ानी बदायुनी कविता - Darsaal

जुस्तुजू-ए-नशात-ए-मुबहम क्या

जुस्तुजू-ए-नशात-ए-मुबहम क्या

दिल मयस्सर है लज़्ज़त-ए-ग़म क्या

मस्ती-ए-होश के फ़साने हैं

जश्न-ए-परवेज़ ओ इशरत-ए-जम क्या

एक आलम को देखता हूँ मैं

ये तिरा ध्यान है मुजस्सम क्या

इज़्न हंगामा-ए-निगाह न दे

क्या हमारी बिसात और हम क्या

नंग-ए-रहमत है एहतियाज-ए-दुआ

इंतिज़ार-ए-गदा-ए-मुबरम क्या

मेरी फ़ितरत है गोश बर आवाज़

सुन रहा हूँ नवा-ए-मेहरम क्या

मिट गया नाम-ए-आशिक़ी अब और

चाहता है वो हुस्न-ए-बरहम क्या

काश पूछो तो कुछ बताएँ हम

हासिल-ए-शिकवा हाए बाहम क्या

दिल कमाल-ए-हयात है 'फ़ानी'

दिल के मारे हुओं का मातम क्या

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Justuju-e-nashat-e-mubham Kya In Hindi By Famous Poet Fani Badayuni. Justuju-e-nashat-e-mubham Kya is written by Fani Badayuni. Complete Poem Justuju-e-nashat-e-mubham Kya in Hindi by Fani Badayuni. Download free Justuju-e-nashat-e-mubham Kya Poem for Youth in PDF. Justuju-e-nashat-e-mubham Kya is a Poem on Inspiration for young students. Share Justuju-e-nashat-e-mubham Kya with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.