Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_341332a0fb18ecb071d7f6cdeeb23105, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जीने की है उम्मीद न मरने का यक़ीं है - फ़ानी बदायुनी कविता - Darsaal

जीने की है उम्मीद न मरने का यक़ीं है

जीने की है उम्मीद न मरने का यक़ीं है

अब दिल का ये आलम है न दुनिया है न दीं है

गुम हैं रह-ए-तस्लीम में तालिब भी तलब भी

सज्दा ही दर-ए-यार है सज्दा ही जबीं है

कुछ मज़हर-ए-बातिन हूँ तो कुछ महरम-ए-ज़ाहिर

मेरी ही वो हस्ती है कि है और नहीं है

ईज़ा के सिवा लज़्ज़त-ए-ईज़ा भी मिलेगी

क्यूँ जल्वा-गह-ए-होश यहाँ दिल भी कहीं है

मायूस सही हसरती-ए-मौत हूँ 'फ़ानी'

किस मुँह से कहूँ दिल में तमन्ना ही नहीं है

(959) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Jine Ki Hai Ummid Na Marne Ka Yaqin Hai In Hindi By Famous Poet Fani Badayuni. Jine Ki Hai Ummid Na Marne Ka Yaqin Hai is written by Fani Badayuni. Complete Poem Jine Ki Hai Ummid Na Marne Ka Yaqin Hai in Hindi by Fani Badayuni. Download free Jine Ki Hai Ummid Na Marne Ka Yaqin Hai Poem for Youth in PDF. Jine Ki Hai Ummid Na Marne Ka Yaqin Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Jine Ki Hai Ummid Na Marne Ka Yaqin Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.