Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_70ae10d7cf76b317cb3c3af4efb14942, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
दैर में या हरम में गुज़रेगी - फ़ानी बदायुनी कविता - Darsaal

दैर में या हरम में गुज़रेगी

दैर में या हरम में गुज़रेगी

उम्र तेरे ही ग़म में गुज़रेगी

कुछ उमीद-ए-करम में गुज़री उम्र

कुछ उमीद-ए-करम में गुज़रेगी

ज़िंदगी याद-ए-दोस्त है यानी

ज़िंदगी है तो ग़म में गुज़रेगी

अब करम का ये मा-हसल है कि उम्र

याद-ए-अहद-ए-सितम में गुज़रेगी

दिल को शौक़-ए-नशात-ए-वस्ल न छेड़

ग़म में गुज़री है ग़म में गुज़रेगी

हसरत-ए-दम-ब-दम में गुज़री उम्र

इबरत-ए-दम-ब-दम में गुज़रेगी

हश्र कहते हैं जिस को ऐ 'फ़ानी'

वो घड़ी शरह-ए-ग़म में गुज़रेगी

(931) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dair Mein Ya Haram Mein Guzregi In Hindi By Famous Poet Fani Badayuni. Dair Mein Ya Haram Mein Guzregi is written by Fani Badayuni. Complete Poem Dair Mein Ya Haram Mein Guzregi in Hindi by Fani Badayuni. Download free Dair Mein Ya Haram Mein Guzregi Poem for Youth in PDF. Dair Mein Ya Haram Mein Guzregi is a Poem on Inspiration for young students. Share Dair Mein Ya Haram Mein Guzregi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.