आप से शरह-ए-आरज़ू तो करें
आप से शरह-ए-आरज़ू तो करें
आप तकलीफ़-ए-गुफ़्तुगू तो करें
वो यहीं हैं जो वो कहीं भी नहीं
आइए दिल में जुस्तुजू तो करें
अहल-ए-दुनिया मुझे समझ लेंगे
दिल किसी दिन ज़रा लहू तो करें
रंग ओ बू क्या है ये तो समझा दो
सैर-ए-दुनिया-ए-रंग-ओ-बू तो करें
तुम से मिलने की आरज़ू ही सही
तुम से मिलने की आरज़ू तो करें
वो उधर रुख़ इधर है मय्यत का
लोग 'फ़ानी' को क़िबला-रू तो करें
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