Ghazals of Fani Badayuni (page 3)
नाम | फ़ानी बदायुनी |
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अंग्रेज़ी नाम | Fani Badayuni |
जन्म की तारीख | 1879 |
मौत की तिथि | 1941 |
जन्म स्थान | Badayun |
हम मौत भी आए तो मसरूर नहीं होते
हो काश वफ़ा वादा-ए-फ़र्दा-ए-क़यामत
हासिल-ए-इल्म-ए-बशर जहल का इरफ़ाँ होना
हर तबस्सुम को चमन में गिर्या-सामाँ देख कर
हर साँस के साथ जा रहा हूँ
हर घड़ी इंक़लाब में गुज़री
गुज़र गया इंतिज़ार हद से ये वादा-ए-ना-तमाम कब तक
इक फ़साना सुन गए इक कह गए
दुनिया-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ में किस का ज़ुहूर था
दुनिया मेरी बला जाने महँगी है या सस्ती है
दिल की तरफ़ हिजाब-ए-तकल्लुफ़ उठा के देख
दिल की काया ग़म ने वो पल्टी कि तुझ सा बन गया
दिल की हर लर्ज़िश-ए-मुज़्तर पे नज़र रखते हैं
दिल और दिल में याद किसी ख़ुश-ख़िराम की
डरो न तुम कि न सुन ले कहीं ख़ुदा मेरी
दैर में या हरम में गुज़रेगी
बिजलियाँ टूट पड़ीं जब वो मुक़ाबिल से उठा
बे-ज़ौक़-ए-नज़र बज़्म-ए-तमाशा न रहेगी
बे-ख़ुदी पे था 'फ़ानी' कुछ न इख़्तियार अपना
बेदाद के ख़ूगर थे फ़रियाद तो क्या करते
बे-अजल काम न अपना किसी उनवाँ निकला
अपनी जन्नत मुझे दिखला न सका तू वाइज़
ऐ मौत तुझ पे उम्र-ए-अबद का मदार है
ऐ बे-ख़ुदी ठहर कि बहुत दिन गुज़र गए
ऐ अजल ऐ जान-ए-'फ़ानी' तू ने ये क्या कर दिया
अदा से आड़ में ख़ंजर के मुँह छुपाए हुए
अब उन्हें अपनी अदाओं से हिजाब आता है
अब लब पे वो हंगामा-ए-फ़रियाद नहीं है
आप से शरह-ए-आरज़ू तो करें
आँख उठाई ही थी कि खाई चोट