Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_n8gvbug8taivrbjau0tb7ap2s1, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
यूँ इंतिक़ाम तुझ से फ़स्ल-ए-बहार लेंगे - फ़ना निज़ामी कानपुरी कविता - Darsaal

यूँ इंतिक़ाम तुझ से फ़स्ल-ए-बहार लेंगे

यूँ इंतिक़ाम तुझ से फ़स्ल-ए-बहार लेंगे

फूलों के सामने हम काँटों के प्यार लेंगे

जाने दो हम को तन्हा तूफ़ान-ए-आरज़ू में

जब डूबने लगेंगे तुम को पुकार लेंगे

जो कुछ था पास अपने दुनिया ने ले लिया है

इक जान रह गई है वो ग़म-गुसार लेंगे

इस दौर-ए-तिश्नगी में क्या मय-कदे को छोड़ें

कुछ दिन गुज़र गए हैं कुछ दिन गुज़ार लेंगे

सय्याद ओ बाग़बाँ के तेवर बता रहे हैं

ये लोग फ़स्ल-ए-गुल के कपड़े उतार लेंगे

(1047) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Yun Intiqam Tujhse Fasl-e-bahaar Lenge In Hindi By Famous Poet Fana Nizami Kanpuri. Yun Intiqam Tujhse Fasl-e-bahaar Lenge is written by Fana Nizami Kanpuri. Complete Poem Yun Intiqam Tujhse Fasl-e-bahaar Lenge in Hindi by Fana Nizami Kanpuri. Download free Yun Intiqam Tujhse Fasl-e-bahaar Lenge Poem for Youth in PDF. Yun Intiqam Tujhse Fasl-e-bahaar Lenge is a Poem on Inspiration for young students. Share Yun Intiqam Tujhse Fasl-e-bahaar Lenge with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.