Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_c0c7e973cd99acb709c151867a09cf30, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
डूबने वाले की मय्यत पर लाखों रोने वाले हैं - फ़ना निज़ामी कानपुरी कविता - Darsaal

डूबने वाले की मय्यत पर लाखों रोने वाले हैं

डूबने वाले की मय्यत पर लाखों रोने वाले हैं

फूट फूट कर जो रोते हैं वही डुबोने वाले हैं

किस किस को तुम भूल गए हो ग़ौर से देखो बादा-कशो

शीश-महल के रहने वाले पत्थर ढोने वाले हैं

सोने का ये वक़्त नहीं है जाग भी जाओ बे-ख़बरो

वर्ना हम तो तुम से ज़्यादा चैन से सोने वाले हैं

आज सुना कर अपना फ़साना हम ये करेंगे अंदाज़ा

कितने दोस्त हैं हँसने वाले कितने रोने वाले हैं

मैं भी उन्हें पहचान रहा हूँ ग़ौर से देखो बादा-कशो

शायद शैख़-ए-हरम बैठे हैं वो जो कोने वाले हैं

(1105) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Dubne Wale Ki Mayyat Par Lakhon Rone Wale Hain In Hindi By Famous Poet Fana Nizami Kanpuri. Dubne Wale Ki Mayyat Par Lakhon Rone Wale Hain is written by Fana Nizami Kanpuri. Complete Poem Dubne Wale Ki Mayyat Par Lakhon Rone Wale Hain in Hindi by Fana Nizami Kanpuri. Download free Dubne Wale Ki Mayyat Par Lakhon Rone Wale Hain Poem for Youth in PDF. Dubne Wale Ki Mayyat Par Lakhon Rone Wale Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Dubne Wale Ki Mayyat Par Lakhon Rone Wale Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.