Sharab Poetry of Fana Bulandshahri
नाम | फ़ना बुलंदशहरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Fana Bulandshahri |
तिरा ग़म रहे सलामत यही मेरी ज़िंदगी है
न दहर में न हरम में जबीं झुकी होगी
मिरी लौ लगी है तुझ से ग़म-ए-ज़िंदगी मिटा दे
मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया
मिरे दाग़-ए-दिल वो चराग़ हैं नहीं निस्बतें जिन्हें शाम से
जो मिटा है तेरे जमाल पर वो हर एक ग़म से गुज़र गया
जब तक मिरी निगाह में तेरा जमाल है
जब तक मिरे होंटों पे तिरा नाम रहेगा
दुनिया के हर ख़याल से बेगाना कर दिया
बा-होश वही हैं दीवाने उल्फ़त में जो ऐसा करते हैं
अब तसव्वुर में हरम है न सनम-ख़ाना है