Islamic Poetry of Fana Bulandshahri
नाम | फ़ना बुलंदशहरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Fana Bulandshahri |
ये तमन्ना है कि इस तरह मुसलमाँ होता
तेरे दर से न उठा हूँ न उठूँगा ऐ दोस्त
माइल-ब-करम मुझ पर हो जाएँ तो अच्छा हो
किस तरह छोड़ दूँ ऐ यार मैं चाहत तेरी
किस को सुनाऊँ हाल-ए-ग़म कोई ग़म-आश्ना नहीं
काफ़िर-ए-इश्क़ को क्या से क्या कर दिया
हुस्न-ए-बुताँ का इश्क़ मेरी जान हो गया
हर घड़ी पेश-ए-नज़र इश्क़ में क्या क्या न रहा
हाँ वही इश्क़-ओ-मोहब्बत की जिला होती है
दिल बुतों पे निसार करते हैं
ऐ सनम तुझ को हम भुला न सके