Hope Poetry of Fana Bulandshahri
नाम | फ़ना बुलंदशहरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Fana Bulandshahri |
ये तमन्ना है कि इस तरह मुसलमाँ होता
वो और होंगे जिन को हरम की तलाश है
उन के जल्वों पे हमा-वक़्त नज़र होती है
तुझे ढूँढती हैं नज़रें मुझे इक झलक दिखा जा
तेरे दर से न उठा हूँ न उठूँगा ऐ दोस्त
तिरा ग़म रहे सलामत यही मेरी ज़िंदगी है
मिरी लौ लगी है तुझ से ग़म-ए-ज़िंदगी मिटा दे
मिरे दाग़-ए-दिल वो चराग़ हैं नहीं निस्बतें जिन्हें शाम से
मक़ाम-ए-होश से गुज़रा मकाँ से ला-मकाँ पहुँचा
किस को सुनाऊँ हाल-ए-ग़म कोई ग़म-आश्ना नहीं
कहीं सुकूँ न मिला दिल को बज़्म-ए-यार के बा'द
जो मिटा है तेरे जमाल पर वो हर एक ग़म से गुज़र गया
जल्वा जो तिरे रुख़ का एहसास में ढल जाए
हरम है क्या चीज़ दैर क्या है किसी पे मेरी नज़र नहीं है
हर घड़ी पेश-ए-नज़र इश्क़ में क्या क्या न रहा
हाँ वही इश्क़-ओ-मोहब्बत की जिला होती है
बा-होश वही हैं दीवाने उल्फ़त में जो ऐसा करते हैं
अँधेरे लाख छा जाएँ उजाला कम नहीं होता