Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_794e9628ff154acf54c137730ff7eea8, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वो आश्ना-ए-मंज़िल-ए-इरफ़ाँ हुआ नहीं - फ़ना बुलंदशहरी कविता - Darsaal

वो आश्ना-ए-मंज़िल-ए-इरफ़ाँ हुआ नहीं

वो आश्ना-ए-मंज़िल-ए-इरफ़ाँ हुआ नहीं

जिस को तिरे करम का सहारा मिला नहीं

देखा बहुत निगाह-ए-तलब को मिला नहीं

तुम से तुम ही हो तुम सा कोई दूसरा नहीं

जाऊँ तो उठ के जाऊँ कहाँ तेरे दर से मैं

तेरे सिवा किसी को भी दिल मानता नहीं

तेरा करम मता-ए-दो-आलम मिरे लिए

तेरा करम रहे तो दो-आलम में क्या नहीं

दस्त-ए-तलब बढ़े तो मिले फिर करम की भीक

उन की अता ने ये भी गवारा किया नहीं

मैं भी फ़क़ीर-ए-दर हूँ मुझे भी नवाज़ दो

मायूस कोई दर से तुम्हारे गया नहीं

तकमील बंदगी न हुई मुझ से ऐ 'फ़ना'

जब तक दर-ए-हबीब पे सज्दा किया नहीं

(1085) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Wo Aashna-e-manzil-e-irfan Hua Nahin In Hindi By Famous Poet Fana Bulandshahri. Wo Aashna-e-manzil-e-irfan Hua Nahin is written by Fana Bulandshahri. Complete Poem Wo Aashna-e-manzil-e-irfan Hua Nahin in Hindi by Fana Bulandshahri. Download free Wo Aashna-e-manzil-e-irfan Hua Nahin Poem for Youth in PDF. Wo Aashna-e-manzil-e-irfan Hua Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Wo Aashna-e-manzil-e-irfan Hua Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.