उन के जल्वों पे हमा-वक़्त नज़र होती है
उन के जल्वों पे हमा-वक़्त नज़र होती है
कूचा-ए-यार में यूँ अपनी बसर होती है
जाने क्या चीज़ मोहब्बत की नज़र होती है
वो जिधर होते हैं दुनिया ही उधर होती है
होश वाले मेरी वहशत को भला क्या समझें
उन के दीवानों को आलम की ख़बर होती है
इश्क़ में चाँद-सितारों की हक़ीक़त क्या हो
जल्वा-ए-यार पे क़ुर्बान सहर होती है
आप की याद से होता है मिरा दिल रौशन
आप को देख के बेदार नज़र होती है
मेरी उन को न ख़बर हो ये कोई बात नहीं
उन को तो सारे ज़माने की ख़बर होती है
जज़्बा-ए-इश्क़ में जन्नत की तमन्ना कैसी
ये बुलंदी तो मिरी गर्द-ए-सफ़र होती है
हेच होती है निगाहों में मता-ए-कौनैन
मेरे दिलबर की नज़र जब भी इधर होती है
मेरे दामन में समा जाते हैं दोनों आलम
मेरे जानाँ की नज़र जब भी इधर होती है
और क्या होगी मिरे इश्क़ की मेराज 'फ़ना'
ज़िंदगी यार के क़दमों में बसर होती है
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