Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_7c0a69d6c2fd41eb44ee0c238d8295aa, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तुझे ढूँढती हैं नज़रें मुझे इक झलक दिखा जा - फ़ना बुलंदशहरी कविता - Darsaal

तुझे ढूँढती हैं नज़रें मुझे इक झलक दिखा जा

तुझे ढूँढती हैं नज़रें मुझे इक झलक दिखा जा

मिरी ज़िंदगी के मालिक मिरी ज़िंदगी में आ जा

न ग़रज़ सनम-कदे से न हरम से कोई मतलब

मुझे वास्ता है तुझ से मिरे दिल में तू समा जा

तू बिछड़ गया है जब से मिरी नींद उड़ गई है

तिरी राह तक रहा हूँ मिरे चाँद अब तो आ जा

मुझे दर्द दे के अपना तू कहाँ छुपा है जा कर

मिरा दिल चुराने वाले मुझे शक्ल तो दिखा जा

तिरा दर्द बन गया है मिरी ज़िंदगी का हासिल

मिरे दिल पे हाथ रख दे ज़रा हौसला बढ़ा जा

मुझे आ के दे सहारा ये क़दम न डगमगाएँ

कहीं मैं भटक न जाऊँ मुझे रास्ता दिखा जा

मिरे नाम की निशानी न रहे जहाँ में बाक़ी

मिरी जान लेने वाले मिरी क़ब्र भी मिटा जा

तिरे हुस्न पे फ़िदा हूँ तिरे इश्क़ में 'फ़ना' हूँ

मुझे तेरी आरज़ू है मिरी ख़ल्वतों में आ जा

(1853) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tujhe DhunDhti Hain Nazren Mujhe Ek Jhalak Dikha Ja In Hindi By Famous Poet Fana Bulandshahri. Tujhe DhunDhti Hain Nazren Mujhe Ek Jhalak Dikha Ja is written by Fana Bulandshahri. Complete Poem Tujhe DhunDhti Hain Nazren Mujhe Ek Jhalak Dikha Ja in Hindi by Fana Bulandshahri. Download free Tujhe DhunDhti Hain Nazren Mujhe Ek Jhalak Dikha Ja Poem for Youth in PDF. Tujhe DhunDhti Hain Nazren Mujhe Ek Jhalak Dikha Ja is a Poem on Inspiration for young students. Share Tujhe DhunDhti Hain Nazren Mujhe Ek Jhalak Dikha Ja with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.