आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया
आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया
ऐ जल्वा-ए-महबूबी जब तेरा ख़याल आया
था उन की तवज्जोह में हर जज़्ब-ए-तलब मेरा
हर चंद मोअद्दब थी जब मेरा सवाल आया
इस बात पे बदली है बस चश्म-ए-करम उन की
उश्शाक़ के होंटों पे क्यूँ हर्फ़-ए-सवाल आया
या उन के हसीन अबरू आए हैं तसव्वुर में
या महफ़िल-ए-हस्ती में रख़्शंदा हिलाल आया
हम सज्दा जहाँ कर लें का'बा वहीं बन जाए
मिट कर तिरी उल्फ़त में हम को ये कमाल आया
अब हश्र-ब-दामाँ है हर महफ़िल-ए-तन्हाई
तुम आए तो फ़ुर्क़त की अज़्मत पे ज़वाल आया
फिर रंग-ए-जुनूँ बरसा फूलों की क़बाओं पर
ये कौन गुलिस्ताँ में आशुफ़्ता निहाल आया
पैग़ाम-ए-'फ़ना' लाया तस्कीन-ए-दिल-ए-मुज़तर
वो आ गए नज़रों में जब वक़्त-ए-विसाल आया
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