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आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया - फ़ना बुलंदशहरी कविता - Darsaal

आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया

आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया

ऐ जल्वा-ए-महबूबी जब तेरा ख़याल आया

था उन की तवज्जोह में हर जज़्ब-ए-तलब मेरा

हर चंद मोअद्दब थी जब मेरा सवाल आया

इस बात पे बदली है बस चश्म-ए-करम उन की

उश्शाक़ के होंटों पे क्यूँ हर्फ़-ए-सवाल आया

या उन के हसीन अबरू आए हैं तसव्वुर में

या महफ़िल-ए-हस्ती में रख़्शंदा हिलाल आया

हम सज्दा जहाँ कर लें का'बा वहीं बन जाए

मिट कर तिरी उल्फ़त में हम को ये कमाल आया

अब हश्र-ब-दामाँ है हर महफ़िल-ए-तन्हाई

तुम आए तो फ़ुर्क़त की अज़्मत पे ज़वाल आया

फिर रंग-ए-जुनूँ बरसा फूलों की क़बाओं पर

ये कौन गुलिस्ताँ में आशुफ़्ता निहाल आया

पैग़ाम-ए-'फ़ना' लाया तस्कीन-ए-दिल-ए-मुज़तर

वो आ गए नज़रों में जब वक़्त-ए-विसाल आया

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