Heart Broken Poetry of Fana Bulandshahri
नाम | फ़ना बुलंदशहरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Fana Bulandshahri |
उठा पर्दा तो महशर भी उठेगा दीदा-ए-दिल में
क्या भूल गए हैं वो मुझे पूछना क़ासिद
आग़ाज़ तो अच्छा था 'फ़ना' दिन भी भले थे
वो और होंगे जिन को हरम की तलाश है
वो आश्ना-ए-मंज़िल-ए-इरफ़ाँ हुआ नहीं
उन के जल्वों पे हमा-वक़्त नज़र होती है
तुम हो शरीक-ए-ग़म तो मुझे कोई ग़म नहीं
तुझे ढूँढती हैं नज़रें मुझे इक झलक दिखा जा
तेरी नज़रों पे तसद्दुक़ आज अहल-ए-होश हैं
तिरा ग़म रहे सलामत यही मेरी ज़िंदगी है
निकले वो फूल बन के तिरे गुल्सिताँ से हम
मुझ को दुनिया के हर इक ग़म से छुड़ा रक्खा है
मेरे रश्क-ए-क़मर तू ने पहली नज़र जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया
मिरे दाग़-ए-दिल वो चराग़ हैं नहीं निस्बतें जिन्हें शाम से
मक़ाम-ए-होश से गुज़रा मकाँ से ला-मकाँ पहुँचा
माइल-ब-करम मुझ पर हो जाएँ तो अच्छा हो
किस तरह छोड़ दूँ ऐ यार मैं चाहत तेरी
किस को सुनाऊँ हाल-ए-ग़म कोई ग़म-आश्ना नहीं
जो मिटा है तेरे जमाल पर वो हर एक ग़म से गुज़र गया
जब तक मिरे होंटों पे तिरा नाम रहेगा
हुस्न-ए-बुताँ का इश्क़ मेरी जान हो गया
हर घड़ी पेश-ए-नज़र इश्क़ में क्या क्या न रहा
है वज्ह कोई ख़ास मिरी आँख जो नम है
दिल बुतों पे निसार करते हैं
बा-होश वही हैं दीवाने उल्फ़त में जो ऐसा करते हैं
अँधेरे लाख छा जाएँ उजाला कम नहीं होता
ऐ सनम देर न कर अंजुमन-आरा हो जा
आँखों में नमी आई चेहरे पे मलाल आया